Mahedi Maud दारुलउलूम महेदविया के जानीब से आर्टिकल – माहे रमज़ान मुबारक – रोजा, खैरात, सदखा, फ़ितरा – क़ुरआन की रौशनी में, अपलोड किए हैं। - (पढ़ने के लिए क्लिक करें)Mahedi Maud
अक़वाल-ए-जरीन  

नक़लीयात

    क़ल इस शब्द में क़ौल यह अरबी शब्द है। क़ौल में यक़ुल् यह अरबी फेल (क्रियापद) है, यक़ुल् का अर्थ कहना, बोलना, बात करना है। क़ौल का अर्थ बात, बोल या वाणी है। नक़ल एक वचन है और नक़लियात अनेक वचन है। महेदविया क़ौम में क़ौल से महेदी माउद सय्यद मुहम्मद जौंनपुरी (अस) मअसुम अनलखता का क़ौल समझना चाहिए और यह क़ौल जब आपके सहाबी या खलिफ़ा अपने किताब में लिखते या बयान करते है उसे नक़ल कहते हैं।

    नक़लियात और अहादीस में फरक़ है नक़लियात महेदी माउद का क़ौल है। हदीस मुहम्मद रसुलल्लाह का क़ौल है। महेदी माउद की नक़ल पर अमल करना फर्ज़ है क्योंके आप मअसुम अनलखता हैं, जैसा के मुहम्मद रसुलल्लाह के हदीस पर अमल करना फर्ज़ है और आप भी मअसुम अनलखता हैं।

    महेदी माउद के नक़ल की अहमियत रसुलल्लाह के हदीस की तरह है। मुहद्दसीन, मुज़्तहीदिन, आलीम, फ़ाजील, सुलतान, दुनयवी बादशाह और मुफ्तीयों के हुक्म से भी जादा अहमियत नक़ल की है क्योंके ये सब मअसुम नहीं हैं जब के महेदी और रसुलल्लाह मअसुम हैं।

    मौजुदा नक़लियात महेदी माउद (अस) तालीब के सामने रखें जा रहे हैं ताके इसके पढ़ने से उन्हें महेदी माउद (अस) के फेल, क़ौल, वाणी व हाल का इल्म हो और आप के किए गए क़ुरआन के तफ़सीर मुरादअल्लाह का बयान का भी इल्म हो और आप ने जो अहादीस नबवी का मतलब समझाया है उसका भी इल्म हो और इन नक़लियात को पढ़, समझ कर तालीब, इबरत व नसीहत हासील करें ताके अरकान ए नबुवत व अरकान ए विलायत (फरायज विलायत) पर शरई (ज़ाहिरी) और हक़ीक़ी (बातीनी) तौर पर अदा करके इबादत कर सकें ताके अल्लाह हमारी इबादत कबुल करें। ये नक़लियात अपने अनपढ़ दोस्त व घर में भी पढ़कर सुनाएँ।

नक़लियात - महेदी माउद (अस).
  • इमाम महेदी माउद की नक़ल है के अगर कोई शक़्स आपकी नक़ल पेश करें अगर वो नक़ल अल्लाह के कलाम याने क़ुरआन के मवाफ़ीक है तो सहिह है और पेश की गयी नक़ल अल्लाह के कलाम के मवाफ़ीक (जैसी) नहीं है तो मेरी नक़ल नहीं है। हो सकता के सुननेवाला मेरे क़ौल को अच्छा न सुना हो या न समझा हो या अच्छा नहीं लिखा हो।

  • महेदी माउद की नक़ल है आप ने कहा के जो अहादीस नबवी आपकी जात के क़ौल, फ़ेल व हाल के मवाफ़ीक नहीं वो हदीस सहिह नहीं।

  • महेदी माउद ने कहा जो तफ़सीर क़ुरआन व हदीस इस बंदा की तफ़सीर मुरादअल्लाह के बयान के मवाफ़ीक नहीं, सहिह नहीं।

  • महेदीयत के सबुत इमाम महेदी माउद (अस) ने... अफमनकान... इस आयत रब्बानी को पेश किया और इस की तफ़सीर बयान की।
Surah-Hud-11, Aayat No. 17.
तफ़सीर मुरादअल्लाह :
    मैं सीधे अल्लाह से सुन रहा हूँ के, ये आयत मुझ पर है “अफमनकान में ‘मन’ तु है और बय्यीना हज़. मुहम्मद मुस्तफा के विलायत के क़ौल, फ़ेल व हाल हैं, जो आप की जात के साथ है, शाहीदुन क़ुरआन व तौरात हैं, उलाइक पैरवी करनेवाले उम्मत के लिए है, बिही दोनों जगह हज़. इमाम महेदी माउद के लिए है”

महेदी माउद की नक़ल है आपने फ़रमाया...

  • इस जिंदगी का वजुद कुफ़्र है याने जान से जीना के जिसे हस्ती और मैं पन, ख़ुदी कहते हैं और वो चीजें जिसको क़ुरआन में जिंदगी का सामान कहा है, जो शक़्स औरत, बच्चों, माल, जानवर, तिजारत, ज़िरायत, खेतीबाड़ी, महल, मकानात, लिबास, कपड़े, खाने, पकवान, हीरे जवाहरात, सोना चांदी और... चीज़ों के मुरीद हैं, काफ़ीर हैं।

  • महेदी माउद ने मनकान युरीदु हयातुद्दूनिया... की तफ़सीर फरमायी के “जो दुनिया को चाहने वाले हैं अल्लाह उनको काफ़ीर कहता है।”
Surah-Hud-11-15-16
महेदी माउद ने क़ुरआन की एक आयत की तफ़सीर फरमायी के...
Surah-Al-Ahjaab-33-28

    “या रसुलल्लाह कह दों अपने बीबीयों से अगर तुम दुनिया और उसके शान व शौकत को चाहती हो तो आवो में तुम्हें महर देकर छोड़ दु...”

  • महेदी माउद की नक़ल है के, महेदी माउद ने कहा... “जो लगातार तीन दिन कमाता है वो दुनिया का तालीब है।”

  • महेदी माउद की नक़ल है के, महेदी ने कहा... “मोमीन वो हैं जो हमेशा सुबह शाम अल्लाह के याद में रहे।”

  • महेदी माउद की नक़ल है के, महेदी ने कहा...“महेदवी की पहचान है के वो अल्लाह को याद करता है, खड़े हुए, बैठे हुए और लेटे हुए।”

  • महेदी माउद की नक़ल है के महेदी ने कहा...“हिकायतों से अल्लाह नहीं मिलेगा, जीकर करो, जीकर के सिवाय अल्लाह नहीं मिलेगा।”

  • महेदी माउद की नक़ल है के, महेदी ने महेदवी क़ौम के तालुक से कहा...“महेदवियाँ अपने मुह में पान सुपारी नहीं चबाते बल्के अल्लाह का नाम चबाते है, याने अल्लाह का जीकर करते है।”

  • महेदी माउद की नक़ल है के, महेदी ने कहा...“मोमीनों के लिए तक़वे का लिबास बेहतर है।”
Surah-Al-Araf-07-26
दि: ०३ फेब्रुवारी २०१५.
वक़्त: ०१:३५ (पी.एम).

* अमीरी पर अक्ल को तर्जिह :

    बंदगीमियाँ हज़रत अब्दुल रशीद (रजी) ने अपनी किताब नक़लियात में महेदी माउद (अस) की नक़ल लिखी है के…

    “मैंने बहुत बार देखा है, के इमाम महेदी माउद (अस) क़ुरआन का बयान करते वक़्त अमीर लोग पिछले सफ़ों (लाइन) में बैठते थे। इमाम महेदी माउद (अस) सय्यद मुहम्मद जौंनपुरी उनको आगे आकर सामने के सफ़ों में बैठने के लिए नहीं कहते थे लेकिन अगर मजमे में होशियार अक़्लमंद लोग होते तो हजरत इमाम महेदी माउद (अस) उनको बुलाकर सामने के सफ में बैठने के लिए कहते थे भलाही वो गरीब क्यों न हो। यहाँ तक के महेदी माउद (अस) बार-बार इस बात पर ज़ोर देते थे के, ऐसे होशियार व अक़्लमंद शख़्स सामने आना चाहिए। महेदी माउद (अस) अपने फ़ुकराओं (फ़कीरों) को कहकर अक्लमंदों को बैठने के लिए जगह मुहय्या (उपलब्ध) कराते। वो (बंदगीमियाँ सय्यद खुंदमिर (रजी)) कहा करते थे की, ऐसी ही आदत थी इमाम महेदी माउद (अस) की के अक़्लमंद, समझ रखनेवालों को नज़दीक बुलाते थे।”
- (न.मी.अ.र ८३).

    इस नक़ल से हमें हजरत इमाम महेदी माउद (अस) की ज़ात (व्यक्ति) में मौजुद एक आदत-ए-हसना जाहीर होती है। आप (अस) अमीरी गरीबी को कोई भी तर्जिह नहीं देते थे। आपकी नज़र में होशियार, अक़्लमंद, समझदार लोग बड़े थे। इसलिए आप बयान क़ुरआन के दौरान मजमे में ऐसे अक़्लमंद, होशियार और समझदार शख़्सों को सामने के सफ़ों में बैठने के लिए कहते। उनके लिए सहाबियों को कहकर आगे की सफ़ों में खाली जगह भी मुहय्या कराते थे। ये नहीं ख़याल करते थे के वो गरीब है।

    इस नक़ल में महेदी माउद (अस) सय्यद मुहम्मद जौंनपुरी के फेल (अमल) ने हमारे लिए एक इबरत छोड़ी है हम सबको इससे सबक़ लेना चाहिए। जब भी हमे तक़रीर व बयान करने का मौक़ा हासिल हो तो हम भी होशियार व अक़्लमंद लोगों को सामने बुलाना चाहिए। ये समझदार लोग बयान को अच्छे तरीखे से समझ सकते है और समझकर दुसरों को अच्छा समझा सकते है इससे महदवियत व दीन ए इस्लाम की तबलीग आसान हो जाएगी।

दि: १८ जुलै २०१५.
वक़्त: ०२:३३ (पी.एम).
  • ये नक़ल है के किसी ने इमाम महेदी माउद सय्यद मुहम्मद जौंनपुरी (अस) को शरीयत का एक छोटा सवाल किया। महेदी माउद (अस) ने उसका बखुबी से जवाब दिया और फिर कहा “इस बंदे को वो पुछो जिसके लिए अल्लाह ताआला ने भेजा है, अगर तुम छोटी बातों का जवाब चाहते हो तो मुज़्तहिदिन व मुफ़सरिन के क़ौल को पढ़ो उन्होने भी अच्छी बातें कही हैं”
    - इमाम महेदी माउद (अस) शवाहिद अल विलायत।

  • जो कोई दौलत (माल) को चाहनेवाला है अल्लाह ताआला तक नहीं पहुँचेगा और जो कोई अल्लाह ताआला को चाहनेवाला है उसे दौलत की जरूरत नहीं होती...
    -इमाम महेदी माउद (अस), शवाहिद अल विलायत।

  • बीबी आयेशा (रजी) कहती हैं के, रसुलल्लाह (सअस) उनके जिंदगी में कभी भी पेट भरके बाजरा की रोटी तक नहीं खायी, ये हमारी बेदीनी है के हम पेट भरके खाते है।
    -नक़लियात नक़ल नं. ११, ह. मियाँ सय्यद आलम बिन याकुब हुस्न विलायत (रजी)।

  • फातेमा (रजी) को एक बार अल्लाह ने दो क़मीस (कुर्ते) भेजे, एक नया और एक पुराना था बीबी फातेमा (रजी) ने नया कुर्ता अल्लाह के वास्ते सवियत कर दिया और पुराना पहन लिया, रसुलल्लाह ने यह सुना तो कहा के अगर वो ऐसा नहीं करतीं तो वे उनको अपनी बेटी न मानतें।
    -नक़लियात नक़ल नं. १३, ह. मियाँ सय्यद आलम बिन याकुब हुस्न विलायत (रजी)।

  • एक दिन रसुलल्लाह (सअस) ने देखा के, बीबी फातेमा (रजी) अपने उंगली में सोने की अंगठी पहनी हैं, आप के आखों में आंसु बहने लगे, आप सजदे में जा गिरे और कहने लगे की या खुदा मुझे इस दुनियाँ से मुहब्बत नहीं है, फ़ातेमा (रजी) ने ऐसा क्यौं किया, यह सुनकर फ़ातेमा (रजी) ने अँगूठी निकालकर रसुलल्लाह (सअस) के पास भेज दिया, रसुलल्लाह (सअस) ने उस अँगूठी को फुक़रावों में सवियत कर दी।
    -नक़लियात नक़ल नं. १२, ह. मियाँ सय्यद आलम बिन याकुब हुस्न विलायत (रजी)।

  • ह. महेदी (अस) (बिदर से) तेलंगाना के तरफ चलने लगे और कहा के कुफ्र के वजह से जमीन जल गयी है, आखिर में वापीस हो गए और उधर नहीं गए (नोट: उधमपल्ली से आगे बढकर गुलबर्गा के जानीब रुख किया)
    -नक़लियात नक़ल नं. २०, ह. मियाँ सय्यद आलम बिन याकुब हुस्न विलायत (रजी)।

  • ह. महेदी माउद (अस) ने नौबत का ज़िकर करने पर ज़ोर दिया है और कहा है के यह दीन का अमल है और दीन का अरकान है अगर तीन बिरादर हैं तो हर एक जन एक पास (तीन घंटे) नौबत का ज़िकर करना चाहिए (रात में)।
    -नक़लियात नक़ल नं. २२, ह. मियाँ सय्यद आलम बिन याकुब हुस्न विलायत (रजी)।

  • चाँद को देखकर लोग खुश होते है, महेदी माउद (अस) ने कहा क्यौं नहीं सोचते के जिंदगी फुजूल खर्च की, मौत क़रीब आ गयी, अपने गुनाह के लिए माफी क्यौं नहीं मांगते?, क्यौं पछताते नहीं?, होशियार होना चाहिए के इसके बाद क्या होगा।
    -नक़लियात नक़ल नं. २९, ह. मियाँ सय्यद आलम बिन याकुब हुस्न विलायत (रजी)।

  • नक़ल है की महेदी माउद (अस) ने फरमाया के, अहेल व अयाल रखनेवालों को तन्हा अशखास पर फाजिलत हासिल है क्यौं के वो बहुत सारों की बार, बिरादरी करते हैं इस सबब से उनका आजर जादा है।
    -नक़लियात नक़ल नं. ४०, ह. मियाँ सय्यद आलम बिन याकुब हुस्न विलायत (रजी)।

  • महेदी माउद (अस) ने फरमाया “मारूफ़” अल्लाह ही की जात है।
    -नक़लियात नक़ल नं. ३७, ह. मियाँ सय्यद आलम बिन याकुब हुस्न विलायत (रजी)।
दि: ३० अगस्ट २०१५.
वक़्त: ११:३० (ए.एम).
  • नक़ल है के ह. बंदगीमियाँ सय्यद खुंदमिर (रजी) ने फरमाया के, हर एक शख़्स के मुर्शिद महेदी माउद (अस) हैं, भला ही जाहिरी तौरपर लोग हमारी तारीफ़ व इज्जत करते हों। हम तो सिर्फ महेदी माउद (अस) से सुननेवाले और दलील पेश करनेवाले हैं।
    -नक़लियात मियाँ सय्यद आलम नक़ल नं. २८८.
शुक्रिया, आगे पढ़ते रहीए...

1 comment:

  1. जहूर अहेमद कुमारकिरी25 January 2016 at 14:05

    सुब्हान अल्लाह। और मजीद नक़लीयात पोस्ट करें ताके पढ़नेवालों के इल्म में इज़ाफ़ा हो और अमल में पोखतगि ।
    जज़ाक अल्लाह ख़ैर।

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