महेदवी भाई, बहने और बुजुर्ग, अस्सलामु अलैकुम,
वेबसाइट में आपका स्वागत है।
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ये एक प्राईवेट वेबसाइट है, महेदवीयों ने इसे बनाया है। जो लोग इस्लाम मजहब (धर्म), की पैरवी करते है, पैरवी करना चाहते है, या कोई दूसरे मजहब की पैरवी कर रहे हैं उनके लिए इस्लामी मालूमात (ज्ञान) पहूँचाना इसका मकसद है। इमाम महेदी माउद (अस) ने जैसी हिदायत दी है वो हिदायत इस वेबसाइट के जरिए से दी जाती है। इसके जरिए से आपको कुरआनी अयातों के बातीन (छुपे) मानी और उसके मानी के मुराद का इल्म पहूँचाया जाता है, और इसके जरिए से आप तक अलग-अलग अहादीस नबवी के सही मानी का इल्म पहूँचाया जाता है जैसा के इमाम महेदी माउद (अस) ने अपने नुरे ईमान की रोशनी से अपने खलीफा और सहाबा (रजी) को बताया है और इन्होंने इस इल्म को अपनी लिखी हुई किताबों में कलमबंद किया है।
मौजुदा दारुलऊलूम की तरह इस दारुलऊलूम महेदविया द युनिवरसिटी ऑफ इस्लाम की ईट पत्थर की कोई इमारत, मंज़िलें या खंबा मौजुद नहीं है बल्के हमारा ये इमान है के जौंनपुर के सय्यद मुहम्मद जौंनपुरी (अस) बिन अब्दुल्लाह उर्फ सय्यदखाँ (अस) हमारे पिछले जमाना के सच्चे इमाम महेदी माउद (अस), खातिमुल विलायत मुहम्मदिया और खलीफतुल्लाह हैं। महेदी माउद (अस) को अल्लाह ने इल्म, हिदायत दिया अल्लाह से उन्होंने क़ुरआन की आयतों का बातीन इल्म (ज्ञान) और उसके मुराद का इल्म पाया और इसपर अमल करके उन्होंने खुदा का दीदार किया।
महेदी माउद (अस) बातीन और जाहीरी इल्म (ज्ञान), हिदायत का ख़जाना हैं, घर, बैत, दार हैं याने दारुलऊलूम, बैतुलऊलूम, जामियाँ, मदरसा हैं, युनीवरसिटी हैं। अल्लाह के हुक्म से उन्होंने इस इल्म (ऊलूम) को लोगों तक पहूँचाया और अपने खुलफा, सहाबा (रजी) और सच्चे मुरीदों के दिलों मे इस इल्म को भर दिया, डाल दिया, इसकी हिदायत की। इस इल्म को पाकर खुलफ़ा और सहाबा (रजी) इसपर अमल करके ख़ुदा के दीदार का शर्फ हासील किया। इन खुलफा, सहाबा (रजी) से ये इल्म सीना-दर-सीना व सिलसिला दर सिलसिला मौजुदा सच्चे महेदवी पीर व मुर्शीद तक पहूँचा और ये सच्चे पीर व मुर्शिद ही इस जमाना में जिंदा चलते-बोलते दारुलऊलूम हैं, बैतुलऊलूम हैं, जामियाँ हैं, मदरसा हैं, युनीवरसिटी हैं। ये ही इस दारुलऊलूम की जिंदा इमारतें, मंज़िलें, स्तून, खंबे (PILLAR) हैं और पुरे दुनियाँ मे जौंनपुर से फराह तक फैले हुए हैं। महेदी माउद (अस) अपने इल्म की तबलीक जौंनपुर से शुरू की और दुनियाँ भर फिरे और फराह पहूँच कर इस इल्म की तबलीक को मुक्कमील फरमाया इसलिए ये दारुलउलूम जौंनपुर से फराह तक पूरी दुनियाँ मे फैला हुवा है।
तालीब (विध्यार्थी) इन जिंदा दारुलउलूम मे दाखील होकर याने पीर व मुर्शीद के सोहबत में रहकर इनसे इस्लाम का सच्चा इल्म हासील कर सकता हैं, अल्लाह का सही रास्ता पा सकता है और इस रास्ते पर, हिदायत पर चलकर दीन व दुनियाँ में फलां (कामीयाबी) पा सकता है।
ये दारुलऊलूम महेदविया अपना एक क़दम आगे बढकर इंटरनेट पर ऑनलाइन हुवा है ताके अल्लाह का दीन अनपढ़, मासुम, गरीब, भटके हुए, परेशान हाल और जुल्म करनेवाले लोगों तक पहुँचे और वो भी हिदायत हासील करें और उनको खुदा का सच्चा दीन उसके उसुल, क़ानून (नियम) मालुम हों और उसपर अमल करके उनको भी खुदा का दीदार नसीब हो।
ये दारुलऊलूम महेदविया तालीब (विध्यार्थी) और इस वेबसाइट के पढ़नेवालों को कोई भी डिग्री, पदवी अता (प्रदान) नहीं करती, जैसा के दुसरे यूनीवरसिटीयाँ, दारुलउलूम डिग्रीयाँ अता करते हैं जिसके मदद से हाफ़िज़, खारी, मुफ़्ती, मुअज्जिन और इमामत करने की नौकरीयाँ पाकर अपना दुनियाँ का सामान (उदरनिर्वाह का खर्च) कमाने में काम आएं बल्के ये दारुलउलूम महेदविया विध्यार्थी (तालीब) को महेदी माउद (अस) के नुरे इमान की रोशनी में हिदायत और जिक्रे खफी का इल्म देकर उसे अपनी हस्ती और इस्लाम मे उसकी औक़ात व हैसियत क्या हैं? इसका इल्म देती हैं। इस दारुलउलूम महेदविया का तालीब (पढ़नेवाला) इस वेबसाइट को पढ़कर और मुर्शिद की सोहबत मे रहकर अगर दिल मे यह महसुस करें की उसने अल्लाह की सच्ची हिदायत पायी और उसपर अमल भी शुरू करें तो व हिदायत पाया हुवा महेदवी है। अल्लाह उसे 'महेदवी' की डिग्री अता करता है के वो महेदवी है और हिदायत पाया हुवा है जैसा के कुरआन मे लिखा है और अल्लाह फरमाता है।
इस वेबसाइट को पढ़ने के बाद अगर किसी के जज़बाद (भावना) को चोट पहूँचती है और इससे उसका समाधान ना हो या खफा, दुख हो तो हम इसपर अफसोस जताते हैं और हम मुआफ़ी चाहते हैं के उनका समाधान नहीं कर सकें वो अपने शक, सवाल को लेकर हमे लिख (कमेंट) सकते हैं।
ये वेबसाइट किसी मज़हब (धर्म), पंथ, गिरोह या फिरका को माननेवाले के इमान, यकीदा (श्रधा, विश्वास) को चोट पहूँचाने के लिए नहीं बनायी गयी या किसी मज़हब को हमसे नीचा, कमतर दिखाने के लिए नहीं बनायी गयी बल्के सिर्फ अल्लाह की खुशनुदी और ख़लक़ की क़िदमत के लिए बनायी गयी है ताके अल्लाह का सिधा रास्ता सब लोगों तक पहूँचे।
हम आपसे अपनी राय, सवाल, सुझाव, मशवरें और मोहब्बत के साथ हमारी गलतीयों पर नुक्ताचीनी, नशानदेही करने की उम्मीद रखते हैं ताके इस वेबसाइट के लिखत को और भी बेहतर बनाएँ। लिखत के जुमलों, अक्षर, वाक्यरचना के गलतीयों और नापसंद जुमलों के लिए हमे दुख हैं। इस वेबसाइट पढ़नेवाले (वाचक) को जो भी तकलीफ हो हम माफी चाहते हैं।
मोहतरम भाई, बहने और बुजुर्ग हम जल्द ही अपनी वेबसाइट
को इंटरनेट पर लॉंच करनेवाले हैं इससे पहले हमने इंटरनेट पर यह ब्लॉग बनाया है ताके लोगों मे इस वेबसाइट की जानकारी हो। इसको मुकम्मील करने और कामीयाबी के साथ इसे इंटरनेट पर लॉंच करने के लिए हमे आप मोहतरम बुजुर्ग व दोस्तों के दुवाओं व रहबरी की जरूरत है ताके हम आपको अच्छी से अच्छी और सच्ची हिदायत और महेदी माउद (अस) के तालीमात को आपतक पहूँचा सकें।
मौजुदा दारुलऊलूम की तरह इस दारुलऊलूम महेदविया द युनिवरसिटी ऑफ इस्लाम की ईट पत्थर की कोई इमारत, मंज़िलें या खंबा मौजुद नहीं है बल्के हमारा ये इमान है के जौंनपुर के सय्यद मुहम्मद जौंनपुरी (अस) बिन अब्दुल्लाह उर्फ सय्यदखाँ (अस) हमारे पिछले जमाना के सच्चे इमाम महेदी माउद (अस), खातिमुल विलायत मुहम्मदिया और खलीफतुल्लाह हैं। महेदी माउद (अस) को अल्लाह ने इल्म, हिदायत दिया अल्लाह से उन्होंने क़ुरआन की आयतों का बातीन इल्म (ज्ञान) और उसके मुराद का इल्म पाया और इसपर अमल करके उन्होंने खुदा का दीदार किया।
महेदी माउद (अस) बातीन और जाहीरी इल्म (ज्ञान), हिदायत का ख़जाना हैं, घर, बैत, दार हैं याने दारुलऊलूम, बैतुलऊलूम, जामियाँ, मदरसा हैं, युनीवरसिटी हैं। अल्लाह के हुक्म से उन्होंने इस इल्म (ऊलूम) को लोगों तक पहूँचाया और अपने खुलफा, सहाबा (रजी) और सच्चे मुरीदों के दिलों मे इस इल्म को भर दिया, डाल दिया, इसकी हिदायत की। इस इल्म को पाकर खुलफ़ा और सहाबा (रजी) इसपर अमल करके ख़ुदा के दीदार का शर्फ हासील किया। इन खुलफा, सहाबा (रजी) से ये इल्म सीना-दर-सीना व सिलसिला दर सिलसिला मौजुदा सच्चे महेदवी पीर व मुर्शीद तक पहूँचा और ये सच्चे पीर व मुर्शिद ही इस जमाना में जिंदा चलते-बोलते दारुलऊलूम हैं, बैतुलऊलूम हैं, जामियाँ हैं, मदरसा हैं, युनीवरसिटी हैं। ये ही इस दारुलऊलूम की जिंदा इमारतें, मंज़िलें, स्तून, खंबे (PILLAR) हैं और पुरे दुनियाँ मे जौंनपुर से फराह तक फैले हुए हैं। महेदी माउद (अस) अपने इल्म की तबलीक जौंनपुर से शुरू की और दुनियाँ भर फिरे और फराह पहूँच कर इस इल्म की तबलीक को मुक्कमील फरमाया इसलिए ये दारुलउलूम जौंनपुर से फराह तक पूरी दुनियाँ मे फैला हुवा है।
तालीब (विध्यार्थी) इन जिंदा दारुलउलूम मे दाखील होकर याने पीर व मुर्शीद के सोहबत में रहकर इनसे इस्लाम का सच्चा इल्म हासील कर सकता हैं, अल्लाह का सही रास्ता पा सकता है और इस रास्ते पर, हिदायत पर चलकर दीन व दुनियाँ में फलां (कामीयाबी) पा सकता है।
ये दारुलऊलूम महेदविया अपना एक क़दम आगे बढकर इंटरनेट पर ऑनलाइन हुवा है ताके अल्लाह का दीन अनपढ़, मासुम, गरीब, भटके हुए, परेशान हाल और जुल्म करनेवाले लोगों तक पहुँचे और वो भी हिदायत हासील करें और उनको खुदा का सच्चा दीन उसके उसुल, क़ानून (नियम) मालुम हों और उसपर अमल करके उनको भी खुदा का दीदार नसीब हो।
ये दारुलऊलूम महेदविया तालीब (विध्यार्थी) और इस वेबसाइट के पढ़नेवालों को कोई भी डिग्री, पदवी अता (प्रदान) नहीं करती, जैसा के दुसरे यूनीवरसिटीयाँ, दारुलउलूम डिग्रीयाँ अता करते हैं जिसके मदद से हाफ़िज़, खारी, मुफ़्ती, मुअज्जिन और इमामत करने की नौकरीयाँ पाकर अपना दुनियाँ का सामान (उदरनिर्वाह का खर्च) कमाने में काम आएं बल्के ये दारुलउलूम महेदविया विध्यार्थी (तालीब) को महेदी माउद (अस) के नुरे इमान की रोशनी में हिदायत और जिक्रे खफी का इल्म देकर उसे अपनी हस्ती और इस्लाम मे उसकी औक़ात व हैसियत क्या हैं? इसका इल्म देती हैं। इस दारुलउलूम महेदविया का तालीब (पढ़नेवाला) इस वेबसाइट को पढ़कर और मुर्शिद की सोहबत मे रहकर अगर दिल मे यह महसुस करें की उसने अल्लाह की सच्ची हिदायत पायी और उसपर अमल भी शुरू करें तो व हिदायत पाया हुवा महेदवी है। अल्लाह उसे 'महेदवी' की डिग्री अता करता है के वो महेदवी है और हिदायत पाया हुवा है जैसा के कुरआन मे लिखा है और अल्लाह फरमाता है।
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